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मंगलवार, 23 जून 2009

सुरक्षाकर्मी ही निकला अपहरण कांड का विभीषण

गिरोह से मुक्त हुए अपहृत
भिंड जिले के अटेर में चल रही कनेरा परियोजना में जिस सुरक्षाकर्मी को हिफाजत के लिए रखा गया था वहीं अपहरण कराने का सूत्रधार निकला। पुलिस से घिरा डकैत राजकुमार अपहृत प्रोजेक्ट मैनेजर शरद झावर, अभिमन्यु त्रिपाठी दिलीप ओझा, सलीम और संतोष पचौरी को छोड़कर भाग निकला। एक अन्य अपहृत सुरेश माहेश्वरी को डकैतों ने भागने के लिए मजबूर किया। सूचना है कि इससे उनकी मौत हो गई। सुरेश पचौरी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। गिरोह ने इन अपहृतों की रिहाई के लिए एक करोड़ की फिरौती मांगी थी जो घटकर दस लाख तक आ गई। इससे पहले ही पुलिस के दबाव में गिरोह भाग निकला।
नंगे पैर घंटों दौड़ाया
अपहृतों के साथ राजकुमार गैंग ने दरिंदगी का व्यवहार किया। उनके जूते उतरवा लिए। कंटीली झाड़ियों और बीहड़ के ऊबड़ खाबड़ रास्ते पर नंगे दौड़ाया गया। इससे शरद झावर की हालत तो बेहद खराब हो गई। सुरेश के पैर में राड पड़ी थी इससे वह भाग नहीं सके। भूख प्यास से बुरा हाल था। उनके साथी कुछ समय तक उन्हें साथ लेकर भागते रहे लेकिन कुछ देर बाद उनकी मौत हो गई।
राजकुमार का दादा भी था डकैत

सिमरई गांव में राजकुमार का घर

राजकुमार और उसका भाई राजनारायण का दादा भी अपने जमाने में डकैत रहा था। रामसनेही के यह दोनों पुत्र भिंड जिले के गोरमी थाना क्षेत्र के स्वेच्छापुर गांव के रहने वाले थे। सिमरई गांव में अब उनका घर खंडहर हो चुका है। उनके दादा रामलाल का साठ के दशक में चंबल के बीहड़ों में आतंक था। क्षेत्र के बुजुर्ग बताते हैं कि रामलाल ने 40 साल पहले अकेले ही तीन दिन तक राजस्थान पुलिस से लोहा लिया था। राजकुमार और राजनारायण ने 2007 में गोरमी थाने के स्वेच्छापुर गांव में भारत भूषण उर्फ सेठी की हत्या की थी। दो साल में दोनों भाइयों ने मध्यप्रदेश के पावुई, अटेर, गोरमी, महुआ थाना क्षेत्र में ताबड़तोड़ वारदातों को अंजाम देकर आतंक मचा दिया था। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मध्यप्रदेश पुलिस ने दोनों पर 15-15 हजार रुपये का ईनाम घोषित किया है। फिलहाल गैंग में दस सदस्य हैं। राजकुमार हमेशा वर्दी में रहता है। उसके सदस्य उसे फौजी कहकर बुलाते हैं।